एक दौर था,
जब लोग उगते हुए सूरज को सलाम करते थे।
ये दौर नया है लोग
जब लोग उगते हुए सूरज को सलाम करते थे।
ये दौर नया है लोग
चमकते सितारे को सलाम करते हैं
बड़ा गजब का चलन है
भीड़, लोगों को रौंदती है
फिर भीड़ क्यों बनते हैं लोग?
लोग ही सवाल करते हैं।
भीड़, लोगों को रौंदती है
फिर भीड़ क्यों बनते हैं लोग?
लोग ही सवाल करते हैं।
सफलता की दौड़ में हैं सभी
आगे निकलने की होड़ में हैं
सूरज और सितारे के बीच
लोग, खुद को कामयाब कहते हैं।
अजीब खेल है,
आसमान वाले तेरा
लोग तुझे नहीं, तेरे बंदों को नहीं
खुद के डर को सलाम करते हैं।
अच्छा चलो बता दो
कि दुनिया में क्या भला है?
सच बड़ा है, झूठ भारी है
या बीच का जो है हम किसको सलाम करते हैं।
लोग तुझे नहीं, तेरे बंदों को नहीं
खुद के डर को सलाम करते हैं।
अच्छा चलो बता दो
कि दुनिया में क्या भला है?
सच बड़ा है, झूठ भारी है
या बीच का जो है हम किसको सलाम करते हैं।
स्वागत है भई आपका ब्लॉग की दुनिया में...
जवाब देंहटाएंअच्छा चलो बता दो
जवाब देंहटाएंकि दुनिया में क्या भला है?
सच बड़ा है, झूठ भारी है....
झूठ के इस दरबार को मुंह चिढ़ाते आपके इस सच का स्वागत है अवतंश भाई |
गुरू आप का इस्तकबाल करता हूं तमाम ब्लॉगेरियों की तरफ से।
जवाब देंहटाएंआप की आगाज पसंद आयी.. धमाकेदार शुरूआत है़़़़़
सवाल के माध्यम से सवाल बहुत खूब...pseudo-intellectuals से intellectuals तक सभी इसके जद में हैं
शुभकामनाएं भविष्य के लिए
अविनाश सिंह
आपका स्वागत है...
जवाब देंहटाएंMost Welcome. Hope you'll pour more of your creations here, apart from other niches.
जवाब देंहटाएंLagal raha guru. Niman ba.
जवाब देंहटाएंBrajesh
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिए शुभकामनाएं।
लिखते रहिए, लिखने वालों की मनज़िल यही है।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकून पहुंचाती है।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
sach bilkul sach. narayan narayan
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