सोमवार, 16 अगस्त 2010

रिशता


पीपल की नई कोंपले और सरसों के खेत का पीला होना
हवाओं की अठखेलियां और उसके पुरवाई में फूलों का इतराना
उतरते जाड़े का स्पर्श
और जाते ठंड में गुनगुनाना
गुनगुनी धूप की गुदगुदाहट और उसके नर्म घास पर नंगे पांव चलना
शरीर का अल्हड़पन और उसके दिल का गुलाबी होना
सांसों की गरमी का बढ़ना और उसका तेजी से चलना हां ये बसंत है ..
पिया बसंत रे शहर के तड़क भड़क में आ जा
और उसके कमरे में समा जा उसकी खिड़कियों को आवाज दे जा
वहां रहने वालों को बता जा तू बसंत है
जीवन से तेरा ये रिशता है

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